मेरा ख्वाब
एक ख्वाब देखा जो मैं रातों में,
पूरा उसको करना है ।
जीना है या मरना है,
पर खवाबों को पूरा करना है ।
श्रम है कठिन मैं ये जानता हूँ,
पर करम है ये अपना इसे मानता हूँ ।
माना इस जग में सब मुमकिन नहीं,
हिम्मत ना हारूँगा मैं भी कहीं ।
कुछ देर चलो थोड़ा जज्बा रखो,
फल मिलेगा जरूर थोड़ा सब्र करो ।
जो है भरोसा खुद पे जरा सा,
तो मानो ऐसा जंग जीतेंगे हमेसा ।
कहने दो उनको वो कुछ भी कहें,
परिणाम आने तक हम चुप ही रहें ।
सबको पता चल जाएगा एकदिन,
मेहनत से हर चीज हो जाती है मुमकिन ।
अगर जो हार गये इस जंग में,
मन से ना हारेंगे रहेंगे अपने रंग में ।
दुश्मनों का पसीना छुट जायेगा हरदम,
चलेंगे हमेशा जो मिलाके कदम ।
पता तो चल ही गया है उन्हें भी,
हम भी किसी से कम नहीं थे ।
याद आया उन्हें बस ये जानकर,
वो हारे हैं जंग में जब हम नहीं थे ।
सपने जो देखे हैं ख्वाबों में,
मैं पूरा करूँगा उसे यादों में ।
एक ख्वाब देखा जो मैं रातों में,
पूरा उसको करना है ।
जो ख्वाब देखा हूँ रातों को,
पूरा उसको करना है ।
जीना है या मरना है,
पर उन खवाबों को पूरा करना है ।
हाँ उन खवाबों को पूरा करना है ।
हाँ उन खवाबों को पूरा करना है ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 01/07/2023
समय – 01 : 33 ( रात्रि )