Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Aug 2017 · 1 min read

मेरा कान्हा

(1)????
ललना निहारे मातु यशोदा,
अहो भाग्य मैंने पायो कान्हा।
देख-देख छबि मन नहीं भरता,
सबसे अनोखा है मेरा ललना।
(2) ????
लेती बलैया मुख कभी चुमे।
माँ की गोद में ललना झूले,
जब से गृह कान्हा जी आये,
मातु यशोदा खुशी से फूले।
(3)????
नाच रहा है छोटा-सा कन्हैया।
संग- संग नाच रही है दुनिया।
देवी देवता सब पुष्प लुटाये,
ऋषि-मुनि मंगल गाये बधैया।
(4)????
ठुमक चलत नंद लाल बाजत पैजनिया,
माथे शोभे मोर मुकुट हाथ में बांसुरिया।
हर्षित सब ग्वाल बाल बृज की गोपियां,
मात यशोदा अति आनंद पायो कन्हैया।
????—लक्ष्मी सिंह ??

Language: Hindi
595 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

कविता
कविता
Rambali Mishra
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* जब लक्ष्य पर *
* जब लक्ष्य पर *
surenderpal vaidya
23/45.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/45.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मनोबल
मनोबल
Kanchan verma
जब बात नई ज़िंदगी की करते हैं,
जब बात नई ज़िंदगी की करते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
शांत नगरिया राम की, रामनगर है नाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
तुझे लोग नहीं जीने देंगे,
Manju sagar
जन्म से मृत्यु तक का सफर
जन्म से मृत्यु तक का सफर
Roshani jaiswal
"बचपन याद आ रहा"
Sandeep Kumar
प्यार की दरकार
प्यार की दरकार
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आने वाले वक्त का,
आने वाले वक्त का,
sushil sarna
*तेरा इंतज़ार*
*तेरा इंतज़ार*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)
कण-कण में तुम बसे हुए हो, दशरथनंदन राम (गीत)
Ravi Prakash
परत
परत
शेखर सिंह
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
VINOD CHAUHAN
विरह रस
विरह रस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
मानस हंस छंद
मानस हंस छंद
Subhash Singhai
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
Suryakant Dwivedi
युग युवा
युग युवा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आज फिर दर्द के किस्से
आज फिर दर्द के किस्से
Shailendra Aseem
तुमसे बेहद प्यार करता हूँ
तुमसे बेहद प्यार करता हूँ
हिमांशु Kulshrestha
अपनी कलम से.....!
अपनी कलम से.....!
singh kunwar sarvendra vikram
■जे&के■
■जे&के■
*प्रणय*
ख़ौफ़ इनसे कभी नहीं खाना ,
ख़ौफ़ इनसे कभी नहीं खाना ,
Dr fauzia Naseem shad
रे कागा
रे कागा
Dr. Kishan tandon kranti
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
New light emerges from the depths of experiences, - Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
मुंतिजर में (ग़ज़ल)
मुंतिजर में (ग़ज़ल)
Dushyant Kumar Patel
सोला साल की उमर भी
सोला साल की उमर भी
Shinde Poonam
Loading...