मेरा एक संस्मरण(सत्य पर आधारित)
संस्मरण_लेखन
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मेरा एक संस्मरण
मेरे पति जिस सरकारी संस्थान में कार्यरत थे ,उस संस्थान
में कर्मचारी और अधिकारियों, की पत्नियों के लिए एक कल्याणकारी निजी संस्था थी जिसमें,समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते थे सभी महिलाएं भाग लेती
थीं और पुरस्कृत होती थीं,अपनी कला का प्रदर्शन करना
सभी को अच्छा लगता है ,बात शायद दस पंद्रह वर्ष पहले की है किसी उच्च अधिकारी की पत्नी का निरीक्षण
दौरा था जिसमें एक कार्यक्रम होना था,और समय भी यही सितंबर का ही था ,हिंदी पखवाड़ा होने के कारण उन्होंने हिंदी पर ही कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार किए थे ।
किसी को कविता वाचन करनी थी किसी को आलेख इत्यादि…..मैं भी अपनी एक कविता के साथ प्रस्तुत थी
सुबह के नौ बजे से सभी महिलाएं तैयारी कर रही थीं मुख्य अतिथि को ग्यारह बजे पहुंचना था ,उससे से पहले सभी
उत्तेजित ,रोमांचित थोड़ी घबराई थीं ,क्योंकि कुछ तो पहली बार भाग ले रही थी,अक्सर मैं अनुभव करती की
अधिकारी की पत्नियां अंग्रेजी में ही बात करती थीं ,करनी भी
चाहिए ,सभी भाषा की जानकारी होना त्रुटिपूर्ण नहीं है परंतु
जब आप हिंदी दिवस समारोह आयोजित कर रहे हैं तो उस दिन तो हिंदी में बात करें ,मैं मानती हूं इंग्लिश के बिना
विकास की सोच भी नहीं सकते,पर जिस स्थान पर अंग्रेजी की आवश्यकता नहीं है वहाँ तो हिंदी बोलकर उसे
सम्मान दें जिस प्रकार हम तकनीकी क्षेत्र में तरक्की कर रहे हैं ,फिर तो हिंदी विलुप्त की श्रेणी में आ जाएगी!
कार्यक्रम की तैयारी जोर शोर से चल रही थी ,अधिकारी की
पत्नी के अगुवाई में सब कुछ ठीक था पर जब भी कुछ पूछते तो मैडम अंग्रेजी में बताती हम में से अधिकतर महिलाएं हिंदी मीडियम के कारण कुछ ठीक से समझ
नहीं पाती थीं और उन्हें ये बात, की वो समझ नहीं पाईं बताने में शर्म आ रही थी!!! उन्हें असहज सा अनुभव हो रहा था,मुख्य अतिथि के आने का समय भी हो रहा था किसी को कुछ
समस्या न हो मैंने हिम्मत जुटा कर मैडम से कह दिया मैम
कृपया आप हिंदी में समझाएं ,थोड़ी झेंप गईं वो ,पर उन्हें भी मेरी बात सही लगी!!! फिर वहां हिंदी का ही वातावरण
हो गया।दक्षिण भारतीय हिंदी,बंगाली हिंदी हरियाणवी हिंदी
और भी प्रांतों की हिंदी,फिर उनके बीच ठेठ बिहारी हिंदी।
मेरे थोड़ी साहस से पूरा समारोह हिंदी मय हो गया।
जय हिंदी जय हिंदुस्तान🙏🙏
स्वरचित(मौलिक)
नूतन दास
गांधीनगर(गुजरात)