मेधावी विद्यार्थी के लक्षण
मेधावी विध्यार्थी के लक्षण
मेरे विचार से मेधावी छात्रों की मुख्यत : तीन श्रेणियाँ होती हैं ।
प्रथम श्रेणी उन विध्यार्थियों की है जो एक बार में समझ लेता है । ये
छात्र विवेकानन्द की श्रेणी में आते हैं , जो विध्यार्थी दो बार में
समझता है , वो दयानन्द की श्रेणी में आता है । जो छात्र तीन बार मंन
समझता है , वो विध्यार्थी आनंद की श्रेणी मे आता है ।
छात्रों की जिज्ञासा उसे मेधावी बनाती है , प्रश्नों का उत्तर खोजने की
लगन उसे वैज्ञानिक बनाती है । उत्तर प्राप्त करने की इच्छा –शक्ति
जिज्ञासा को शांत करती है , छात्रों को लगन शील होने के साथ- साथ कर्मठ
होना आवश्यक है , कर्मठ छात्र अपनी मेहनत के बल पर अपने लक्ष्य को
प्राप्त करता है ।
छात्रों को अपने अध्ययन में निरन्तरता लानी चाहिए । स्वाध्याय छात्रों को
स्वावलम्बी व विद्वान बनाता है , इससे मेधा प्रखर होती है ।
एक मेधावी, जिज्ञासु विध्यार्थी, न केवल अपने स्वजनों , गुरुजनों व
विध्यालय का नाम रोशन करता है बल्कि गुरुजनों के मानस पटल पर चिरस्थाई
स्मृति छोड़ता है ।
गुरुजनों को भी जिज्ञासु व शोध परक होना चाहिए , जिससे छात्रों की
जिज्ञासा का समाधान नित्य नवीन प्रकार से कर सकें , व विषय में रुचि बनी
रह सके ।
छात्रों को निरन्तर अध्ययन द्वारा संशयात्मक बुद्धि का परिवर्तन
निश्चयात्मक बुद्धि में करना चाहिए , जिससे निर्णय निश्चित व निर्णायक हो
सकें । छात्रों को निर्णय लेने की क्षमता का विकास प्रारम्भ से ही करना
चाहिए , जिससे वे बड़े होकर बड़े निर्णय कर सकें ।
निर्णय लेते समय छात्र का विवेकशील होना आवश्यक है । विवेक के द्वारा
विध्यार्थी अपना हानि –लाभ , सुख –दुख व्यक्तिगत , पारिवारिक , सामाजिक ,
व देश हित के परिपेक्ष्य में देख सकते हैं व समझ सकते हैं ।
विनम्रता छात्रों का अलंकार है , जो विध्यार्थियों को आगे बढ़ने हेतु
मार्ग सुगम कराता है । विनम्र होना अति आवश्यक है । विनम्रता मित्रों ,
बढ़े- बूढ़ों व परिवार में सम्मान प्रदान कराती है, व त्रुटियों को,
अनदेखा करने सहायता प्रदान करती है ।
स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है , अत : केवल अध्ययन शील न
होकर खेलकूद में भाग लेना चाहिए । क्रीड़ा मानसिक थकान को कम करती है ।
स्वस्थ निद्रा प्रदान करती है , जो शारीरिक स्फूर्ति व तीव्र मेधा शक्ति
के लिए अत्यंत आवश्यक है । इससे छात्रों का सर्वांगीण विकास होता है ।
छात्रों की प्रसन्नता , अभिभावकों को प्रसन्न करती है , अत :हमेशा खुश
रहें , प्रसन्न रहें, स्वस्थ रहें , आगे बढ़ें ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ,
सीतापुर ।
12- 01- 2019
विवेकानन्द जयंती के अवसर पर विवेकानन्द विध्यालय, आगा कॉलोनी ,
सीतापुर में सम्बोधन ।