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15 Jul 2024 · 1 min read

मेघ तुम आओ…

भर कर जल अंजुरी,
अब मेघ तुम आओ,
उलीच दो तृप्त ‘वारि’,
धरा धन्य कर जाओ…

ऐसे बरसो तुम ‘घन’,
मन शीतल हो जाऐ,
कंठ गाये पंचम स्वर,
हिय मयूर हो जाऐ…

तुम निर्जन में बरसो,
तुम आंगन में बरसो,
धान-पान मे बरसो,
नगर खेत में बरसो…

इस माटी और हृदय में,
राग प्राण दे जाओ,
आ जाओ श्रावण तुम,
सरस बरसात कर जाओ…

©विवेक’वारिद’*

Language: Hindi
40 Views
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