मेघ,,,, कुछ हाइकु
₹जैहिंद के हाइकु
सुनाई नानी
कल रात कहानी
बरखा रानी ।
मेघ गरजा
जीवों का मन हर्षा
आई बरसा ।
बादल दानी
चली पूर्वा सुहानी
आशाएँ जागीं ।
ठुमके मोर
बच्चे मचाएँ शोर
गिनूँ मैं पोर ।
झींगुर-बोल
दादुर पीटे ढोल
हो गई भोर ।
घन तड़के
लो बारिश टपके
तन तरसे ।
=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
08. 07. 2017