में कवि की दुनिया का सार क्या जानू
कभी कोई मुझे यह समझता है
और वो पूछता है, कि क्या आप “कवि ” हैं
ममैं पूछता हूँ , क्या कवि कहीं से बनकर
इस धरती पर उतरता है ?
जो आपने पढ़ा , और वो ही मैने पढ़ा
हो सकता है, मुझ से ज्यादा आपने “पढ़ा”
में तो चन्द शब्दों को पिरो देता हूँ
इसी लिए आपकी नजरों में “कवि” दिखाई देता हूँ !!
न मेरी कोई जात है, न कोई पात है
माँ सरस्वती का दिया वरदान हैं
जिस को बाँट कर , हर इंसान को मैं
यही सन्देश जाकर देता हूँ !!
इन्सान् का जीवन एक बार मिलता है
न जाने कितनी योनिओं को भुगतने के बाद
अगली कौन सी होगी, कहाँ पर होगी
यह तो बस जानता हैं, मेरा आपका भगवान् !!
जीवन में अपने पारदर्शिता को अपना कर रखो
जैसे रोजाना दर्पण में अपना बिम्ब दिखता है
दाग न आने दो अपने इस जीवन में
अपने कर्म, पर ही बस भरोसा दिखता है !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ