मेंहदी
विषय -मेंहदी
विधा -धनाक्षरी
कर सोलह श्रंगार
वधू चली ससुराल
लगती आज गजब
मेंहदी सजी हाथों में।
पिता का प्रेम इस मे
पति का नेह इस मे
सजती रहे हाथ मे
दुःख छुपाये बातों में।
साजन परदेश मे
सजनी है वियोग में
सावन है आया फिर,
नींद ना आये रातों में।
हिना का ये स्वभाव है
मिटने को बेताब है
दे हँसी दूसरे को ये,
सज जाती है हाथों में।।
संध्या चतुर्वेदी
अहमदाबाद, गुजरात