मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
गीत
1222/1222/1222/1222
जो स्वामी दीन दुखियों के, जो सब के काम आये हैं।
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
व्यथित थी जिनके बिन कब से अयोध्या की प्रजा सारी।
कई सदियों से जिनकी राह में बैठे थे नर नारी,
वो पालनहार, रघुनंदन नयन अभिराम आये हैं। -1
दिशाएं दस हुईं पुलकित हुआ मौसम सुहाना भी।
गगन के चांद तारे और हुआ सूरज दिवाना भी।
वो जो हैं सूर्यवंशी लौट कर निज धाम आये हैं। -2
मनोहारी छटा को देखकर, मोहित हुए हैं सब,
ये आंखें प्यासी हैं कब से, मिले हो हे प्रभू तुम अब,
जो खुशियों से भरे होगें सुबह और शाम आये हैं। -3
………..✍️ सत्य कुमार प्रेमी