मेंने बांधे हैं ख्बाव,
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
उम्मीदों की डोर से,
कदम हैं जमीं पे,
नजरें आसमां के छोर पर,
यारो थोड़ा धीमा हो गया हूं,
यह बात तो पक्की है,
पर अब रूकूंगा नहीं
यह बात भी नक्की है।
©️सुनील माहेश्वरी
मेंने बांधे हैं ख्बाव,
उम्मीदों की डोर से,
कदम हैं जमीं पे,
नजरें आसमां के छोर पर,
यारो थोड़ा धीमा हो गया हूं,
यह बात तो पक्की है,
पर अब रूकूंगा नहीं
यह बात भी नक्की है।
©️सुनील माहेश्वरी