“मृदुलता”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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कभी सोचता हूँ
कोई कविता लिखूँ
कभी सोचता हूँ
कोई लेख लिखूँ
कभी संस्मरण
लिखना चाहता हूँ
कभी कहनिओं को
दुहराना चाहता हूँ
कभी -कभी इतिहास
सुनाना चाहता हूँ
अपने पूर्वजों की
गाथा कहना चाहता हूँ
बहुत कम हैं पढ़नेवाले
बहुत कम हैं सुननेवाले
सब के सब मौन हैं
बहुत कम हैं समझनेवाले
यहाँ तो होड़ लगी है
इतिहास को बदलना है
पुराने धरोहरों को
ध्वस्त आखिर करना है
किन्हीं की भावनाओं
से भला इनको क्या लेना
ये लोगों को जब नहीं पढ़ते हैं
तो इन्हें लेखों से क्या लेना
पढ़ेंगे तब ही विद्वता
आपकी प्रखर होगी
अन्यथा आपकी बोली
सदा जहर ही उगलेगी
इतिहास के पन्नों में
उन्हीं का नाम रहता है
जो पढ़ता है सभी को
वही क्षितिज में चमकता है !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
27.09.2023