मृत्यु हूँ ।
क्या करोगे ?
जब आ जाऊँ,
पुष्प नहीं है,
जो मुरझा जाए,
समय नहीं है,
जो गुजरता जाए,
असत्य नहीं है,
जो झुठलाया जाए,
चरण नहीं है,
जो लड़खड़ा जाए,
भय नहीं है,
जो छुप जाए,
रूप नहीं है,
जो पहचाना जाए,
प्राण नहीं है,
जो जिया जाए,
न जाने कब ,
कहाँ आ जाऊँ,
भेंंट अपनी,
किस मुकाम में हो जाए,
अशांति में भी,
शांत हो कर आऊंँ,
एक क्षण में ही,
मिल कर जाऊँ,
मृत्यु हूँ,
मृत्युलोक का,
जन्म मरण का,
है यह संसार,
क्या भरोसा,
जीवित प्राणी का,
मृत्यु हूँ ,
अटल है आऊंँ।
रचनाकार ✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा,
हमीरपुर।