मृत्यु सुंदरी
पिलाकर तुम प्राणी को ,
मुक्ति से भरा अमृत प्याला।
चिर निंद्रा में सुला देती हो।
सारी उम्र के दुखों से,
क्षण भर के सुखों से ,
तुम हमें उबार देती हो।
अपने श्याम से केस खोले,
नैनों में अपार स्नेह घोले,
तुम आँचल अपना बिछा देती हो।
बिना ख़त-पट के ,
बिना सर -पट के ,
धीरे से हमें उठा ले जाती हो।
ले जाती हो उस पार ,
जहाँ है आनंद अपार ,
हमें अपने परम पिता ,
परमात्मा से मिला देती हो.