मृत्यु भोज
जीवन भर मैंने जो कमाया है
उसे यूं ना गवाना बेटा
ना हो तेरे पास में तो
कर्जा मत करना बेटा
मैं जब भी मर जाऊं
मृत्यु भोज मत करना बेटा, मृत्यु भोज मत करना बेटा!
उस पैसे को बचाकर रखना
अपने बच्चों को पढ़ाना बेटा
ढोंग अंधविश्वास और पाखंड
और कुरीतियों से उसको बचाना बेटा
मृत्यु भोज मत करना बेटा, मृत्यु भोज मत करना बेटा!
जब वह भटके रास्ते से
तो उसको बतलाना बेटा
मेरा परिदृश्य उसे तुम दिखाना
यदि लगे तुम्हें कुछ ऐसा
अनाथो को खिला देना बेटा
मृत्यु भोज मत करना बेटा, मृत्यु भोज मत करना बेटा!
लेखक :- उमेश बैरवा