मृत्यु तय है
आसमान को छूना है तो,
अपने कद को आप बढ़ा लो।
जीवन पहली बार मिला है,
चाहे जैसा आप सजा लो।।
अंतर्मन की उमंग, तरंग को,
पिरो-पिरोकर राग बनाओ।
हृदय-ध्वनि यह श्वसन गति को,
सात सुरों का भाग बनाओ।
जीवन को संगीत करो फिर,
चाहे जो भी गीत बजा लो।।
जीवन पहली बार मिला है,
चाहे जैसा आप सजा लो।।
मृत्यु तय है, पर कल होगी,
आज समय कुछ करने का।
खुद को इतना व्यस्त करो तुम,
समय मिले नहीं मरने का।
हर अवसर पहला या अंतिम,
जान लगा दो, उसे भुनालो।।
जीवन पहली बार मिला है,
चाहे जैसा आप सजा लो।।
स्वयं करो निर्धारित पहले,
किस मंजिल को पाना है।
विपदा, बाधा जैसी भी हो,
तुमको चलते जाना है।
लक्ष्य-साधना हर हालत में,
अपने दिल का ख़्वाब बना लो।
जीवन पहली बार मिला है,
चाहे जैसा आप सजा लो।।
रस्ते का पत्थर बन जाओ,
या मंदिर का भगवान बनो।
कर्म-साधना करके तुम भी,
ईश्वर का वरदान बनो।
भरो हौसला खुद ही खुद में,
फिर पानी में आग लगा लो।।
जीवन पहली बार मिला है,
चाहे जैसा आप सजा लो।।
संतोष बरमैया जय