Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jan 2019 · 1 min read

मृत्यु जीवन का एक सत्य

कहते हैं
मृत्यु अंतिम सत्य नहीं है
जीवन यात्रा का अंत नहीं है
एक नई यात्रा का शुभारंभ है ।

सोचता हूँ
संभवतः ऐसा ही हो
ऐसा ही होता भी हो
उस गंतव्य तक पहुँचा नहीं हूँ ।

सत्य है
सभी पहुँचते हैं
एक दिन उस गंतव्य तक
लौट कर कोई बताता नहीं है।

विज्ञान मानता है
प्रत्येक द्रव्य अविनाशी है
आध्यात्म का उद्घोष है
प्रत्येक अस्तित्व क्षणभंगुर है ।

चाहता हूँ
उस परणिति तक पहुँचूँ
पहले इसके जान सकता मैं
नियति क्या है गंतव्य क्या है ।
अंतिम सत्य क्या है ।

Language: Hindi
357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बस माटी के लिए
बस माटी के लिए
Pratibha Pandey
कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी।
कौन यहाँ खुश रहता सबकी एक कहानी।
Mahendra Narayan
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
ओसमणी साहू 'ओश'
बुद्ध मैत्री है, ज्ञान के खोजी है।
बुद्ध मैत्री है, ज्ञान के खोजी है।
Buddha Prakash
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3327.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मित्रता
मित्रता
Shashi kala vyas
भारत के वीर जवान
भारत के वीर जवान
Mukesh Kumar Sonkar
कान्हा भजन
कान्हा भजन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"मन की संवेदनाएं: जीवन यात्रा का परिदृश्य"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
समझ आये तों तज्जबो दीजियेगा
समझ आये तों तज्जबो दीजियेगा
शेखर सिंह
भूल भूल हुए बैचैन
भूल भूल हुए बैचैन
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
लोककवि रामचरन गुप्त मनस्वी साहित्यकार +डॉ. अभिनेष शर्मा
कवि रमेशराज
राष्ट्र भाषा राज भाषा
राष्ट्र भाषा राज भाषा
Dinesh Gupta
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
चाँद सा मुखड़ा दिखाया कीजिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
Manoj Mahato
कोरा रंग
कोरा रंग
Manisha Manjari
कीजै अनदेखा अहम,
कीजै अनदेखा अहम,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तकते थे हम चांद सितारे
तकते थे हम चांद सितारे
Suryakant Dwivedi
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
वेतन की चाहत लिए एक श्रमिक।
Rj Anand Prajapati
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
नारी के चरित्र पर
नारी के चरित्र पर
Dr fauzia Naseem shad
"बह रही धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
जब सावन का मौसम आता
जब सावन का मौसम आता
लक्ष्मी सिंह
■ लघुकथा
■ लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शामें दर शाम गुजरती जा रहीं हैं।
शिव प्रताप लोधी
!! मुरली की चाह‌ !!
!! मुरली की चाह‌ !!
Chunnu Lal Gupta
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
मन राम हो जाना ( 2 of 25 )
Kshma Urmila
Loading...