मृत्युलोक में मोक्ष
असमय मुक्ति मिली यहाँ, दर्शन करते साथ
क्यों फटा अमरनाथ में, बादल भोलेनाथ
बादल भोलेनाथ, बढ़ा क्या पाप जगत में
करने को बस मौज, अनेकों रहें जुगत में
महावीर कविराय, तनिक ना कीजै विस्मय
मृत्युलोक में मोक्ष, कभी ना मिलता असमय
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असमय मुक्ति मिली यहाँ, दर्शन करते साथ
क्यों फटा अमरनाथ में, बादल भोलेनाथ
बादल भोलेनाथ, बढ़ा क्या पाप जगत में
करने को बस मौज, अनेकों रहें जुगत में
महावीर कविराय, तनिक ना कीजै विस्मय
मृत्युलोक में मोक्ष, कभी ना मिलता असमय
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