Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2021 · 4 min read

मृत्युभोज से छुटकारे का उत्सव

उतर बिहार के विभिन्न इलाकों मे मृत्युभोज इतना बड़ा उत्सव है की कोई इससे पिछा नहीं छुड़ा पाता? अमीर हो या ग़रीब सभी के लिए मृत्युभोज करना समाजिक रूप से अनिवार्य नियम हैं. लोग भी इतने दकियानूस की मृत्युभोज ना करने की हिमाक़त भी नहीं कर सकता? भले ही खूब पैसे खर्च मे उड़ जाए या फिर पुस्तैनी जमीन ही क्यूं न बिक जाए या भले कोई कर्ज़ में ही क्यूँ ना डूब जाए? यहां पर तो समाज के लोग भी मृत्युभोज के उत्सव मे जमकर अपनी धाक जमाते फिरते. भोज खाने की लालसा में तो यहाँ के लोग कर्मकाणडी डंक से लोगों को एसे डँसता है की मानो गरीब रे लिए तो ये मृत्युभोज किसी काल कोठरी से कम नहीं?

बिहार के रामपुर गांव का रमेश अपनी उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चला गया था. पढ़ने मे होशियार तो था ही साथ ही वह वैज्ञानिक विचारों को मानता था और धार्मिक आंडबरो के सख़्त खिलाफ़ भी था. रमेश पढाई के साथ साथ प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा था. हालांकि शुरूआत में उसे असफलता ही हाथ लगी, लेकिन फिर भी वह पूरे मेहनत से इम्तिहान देता रहा. आखिरकार उसका चयन सचिवालय सहायक के रूप मे हुआ और उसने नौकरी भी करनी शुरू कर दी. अच्छे खासे से उसकी ज़िदगी कट रही थी. उसके घर वाले भी बेहद खुश थे और उसे शादी के लिए दवाब भी बना रहे थे. रमेश के पिता जी बूढ़े हो चुके थे यही सब सोचकर उसने भी शादी के लिए हामी भर दिया.

रमेश के पिता ने किसी रिशतेदार के गांव मे ही उसके शादी के लिए रिशता तय तमन्ना कर चुके थे. बस शुभ मुहुर्थ निकलवाकर शादी के दिन तय करना था और रिशतेदरों को निमंत्रण भिजवाना रह गया था. घर मे काफि चहल पहल था. ईधर रमेश को भी ख़बर कर दी गई थी और उसे जल्दी से गांव आने को कहा गया. वह भी गांव आने के लिए ट्रेन की टीकट आनलाइन बुक कर लिया था. फिर तय समयानुसार रमेश अपने गांव के लिए चल परा था, ईधर घर के लोग शादी के उत्सव की तैयारी मे लगे हुए थे. वह रास्ते मे ही था की अगले दिन उसे सूचना मिली की उसके पिता जी का हृदयघात से अचानक मृत्यु हो गया. ये ख़बर मिलते ही रमेश सन्न रह गया और दहारे मारकर जोर से रोने लगा.

पिता के मृत्यु के बाद रमेश अपने गांव रामपुर पहुँचा. उसके रिशतेदार भी और गांव के लोग बाग भी जमा हो चुके थे. रमेश दहारे मारकर रोए जा रहा था, उसकी माँ और बहन का भी रोकर बुरा हाल था. गांव वालों ने सांत्वना देकर समझा बुझाकर आखिर मे दाह संस्कार कर दिया. दाहकर्म के बाद रमेश बिल्कुल उदास रहने लगा. आज उसके पिता का नौ केस था. सभी ने समाजिक नियम के अनुरूप केस कटवाया. अब तेरहवीं के मृत्युभोज की शाम मे बैठक होनी थी.

तेरहवीं के दिन मृत्युभोज के बैठक के लिए गांव के गनमाणय लोग रमेश के दरबाजे पर बैठक के लिए आए. इधर चाय पानी भी हो रहा था और लोग बाग अपनी बात भी रख रहे थे. कोइ कह रहा था तुम्हारी तो सरकारी नौकरी है पूरे पंचायत को लेकर भोज करना होगा. तो कोई पूरे गांव के लोगों को लेकर भी भोज खिलाने का दवाब बना रहा था. जैसे ही रमेश ने कहा की वह मृत्युभोज नहीं करेगा सिर्फ दस एक्किस लोगों को ही खिलाकार श्राद्ध कर्म की औपचारिकता भर करेगा. बस इतना सुनते ही मुपुर्खों की भौंहे तन गई. कई ने तो रमेश को बिरदारी से अलग होने की धमकी तक दे डाली. पर रमेश अपने फैसले से टस से मस नहीं हुआ.

आखिरकार रमेश ने मृत्युभोज की औपचारिकता भर करने के बाद अपने गांव मे लाइब्रेरी बनबाया. ईधर गांव की पंचायत ने रमेश के घर का हुक्का पानी बंद करने का फरमान सुनाया. लेकिन रमेश पर इसका कुछ खास प्रभाव नहीं परा. वह लाइब्रेरी की जिम्मेदारी अपनी बहन सुनैना और गांव के ही करीबि मित्र सुमित को सौंपकर दिल्ली लौट चुका था. शुरूआत मे तो लाइब्रेरी संचालन मे काफी कठिनाइयां हुई लेकिन रमेश सभी को फोन के माध्यम से गाइड कर रहा था. गांव के दकियानूस लोग लाइब्रेरी नहीं चलने देने पर आमदा थे लेकिन फिर भी सुमित और सुनैना ने हिम्मत से काम लिया और लाइब्रेरी को संचालित किए रहा.

धीरे धीरे पड़ोस के गांव के बच्चे भी लाइब्रेरी मे पढ़ने आने लगे. गांव के कुछ बच्चे भी देखा देखी आने लगे. छात्र वहाँ पढ़ते भी और सुमित एवं सुनैना इन बच्चों का मार्गदर्शन भी करते थे. छात्र परीक्षाओं की तैयारी मे लगे हुए थे. ईधर रमेश की शादी तय हो चुकी थी. अपनी माँ के कहने पर वह अपने गांव पहुँच चुका था. शादी की तैयारी जोर शोर से हो रही थी. आज रमेश बारात लेकर जाकर जाएगा. वह सज धजकर घोड़ी पर बैठा ही था की एक नौजवान सा लड़का आया और सुमित ले बताया की उसका चयन रेलवे मे हो गया. लाइब्रेरी की पढाई और पुस्तक की बहुत मदद मिली. इतना सुनते ही खुशी से रमेश नीचे उतरकर उस नौजवान लड़के एवं सुमित को गले लगाकार बधाईयाँ दी. सुनैना भी ये सुनकर खुशी से फूले नहीं समा रही थी. मानो सभी मिलकर खुशी खुशी आज मृत्युभोज से छुटकारे का उत्सव मना रहें हो.

आखिरकार उन सबको सफलता मिली और मृत्युभोज के अनावशयक खर्च के बदले लाइब्रेरी बनवाकर जो समाज का हित हुआ. मानो उस नौजवान की सफवता और वक्त पर रमेश के सही फैसलें एवं सुमित सुनैना के लाइब्रेरी जिम्मेदारी संभालने की पहल मृत्युभोज से छुटकारे के उत्सव को बयां कर रहा हो. रमेश भी शादी के ल्ए निकल परा, वो नौजवान के साथ बारात चल दिया, ईधर सुनैना भी खुशीयों के गीत गाकर अपने भाई को दुल्हन के घर जाने को विदा किया. बैंड बाजे की धुन और लाइब्रेरी की सार्थकता ने मृत्युभोज से मिले छुटकारे के उत्सव तो आज देखते ही बन रहे थे.

लेखक- डॉ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

3 Likes · 4 Comments · 808 Views
Books from Dr. Kishan Karigar
View all

You may also like these posts

मंत्र चंद्रहासोज्जलकारा, शार्दुल वरवाहना ।कात्यायनी शुंभदघां
मंत्र चंद्रहासोज्जलकारा, शार्दुल वरवाहना ।कात्यायनी शुंभदघां
Harminder Kaur
अधूरी कहानी (कविता)
अधूरी कहानी (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
*जिंदगी से हर किसी को, ही असीमित प्यार है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
2687.*पूर्णिका*
2687.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
जिंदगी के उतार चढ़ाव में
Manoj Mahato
रामचरितमानस
रामचरितमानस
Rambali Mishra
शहर में आग लगी है
शहर में आग लगी है
VINOD CHAUHAN
सत्य तो सीधा है, सरल है
सत्य तो सीधा है, सरल है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
" मुझे नहीं पता क्या कहूं "
Dr Meenu Poonia
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
हर मनुष्य के अंदर नेतृत्व की भावना होनी चाहिए।
Ajit Kumar "Karn"
समुंद्र की खिड़कियां
समुंद्र की खिड़कियां
ओनिका सेतिया 'अनु '
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नज़र चाहत भरी
नज़र चाहत भरी
surenderpal vaidya
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
फिर से अजनबी बना गए जो तुम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कुंडलिया - गौरैया
कुंडलिया - गौरैया
sushil sarna
आपणौ धुम्बड़िया❤️
आपणौ धुम्बड़िया❤️
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
माटी
माटी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
20)”“गणतंत्र दिवस”
20)”“गणतंत्र दिवस”
Sapna Arora
मेरे इश्क की गहराइयाँ
मेरे इश्क की गहराइयाँ
हिमांशु Kulshrestha
-सत्य को समझें नही
-सत्य को समझें नही
Seema gupta,Alwar
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
वो ख्यालों में भी दिल में उतर जाएगा।
Phool gufran
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
सत्य और राम
सत्य और राम
Dr. Vaishali Verma
जीवन निर्झरणी
जीवन निर्झरणी
Jai Prakash Srivastav
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
मां वाणी के वरद पुत्र हो भारत का उत्कर्ष लिखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
यार कहाँ से लाऊँ……
यार कहाँ से लाऊँ……
meenu yadav
केशव
केशव
Shashi Mahajan
"हमदर्द आँखों सा"
Dr. Kishan tandon kranti
निर्णय
निर्णय
Dr fauzia Naseem shad
Loading...