मृत्तिका
******मृत्तिका*****
*****************
माटी में है जन्म लिया
माटी में है खेला कूदा
माटी में ही रच बस के
माटी में ही सिमट लिया
मिट्टी से खिलौने बनाए
उनसे निज मन बहलाए
मिट्टी से दिल भर लिया
माटी में ही सिमट लिया
जब मिट्टी है रंग दिखाए
तुम्हे खिलौना है बनाए
खिलौनों ने है दम लिया
माटी में ही सिमट लिया
धूलि से तिलक लगाया
धूलि में है प्रेम समाया
धूलि में है धूल लिया
माटी में ही सिमट लिया
रेणु में है अन्तिम पड़ाव
रेणु दिखाए धूप छांव
रेणु ने है हर फिर लिया
माटी में ही सिमट लिया
सुखविन्द्र मृत्तिका सानी
जीवन की ये है निशानी
मृत्तिका मृत कर लिया
माटी में ही सिमट लिया
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)