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31 May 2024 · 1 min read

मृगनयनी

मृगनयनी

बंद दरवाजों के झरोंखों से झांकती इक मृगनयनी है
जानें कब आयेंगे प्रियतम
अंदर से बेचैनी है

जानें कौन सी सुखद घड़ी होगी ,जब पिया मिलन की रात होगी,

ऐ चांद तू भी गवाह बनना उस पल का,जब प्रियतम से मुलाकात होगी,

विरह की घड़ी कब बीतेगी,
साजन जी कब आयेंगे,श्रृंगार मेरा फिर अपनें हाथों से कर ,मुझको दुल्हन सी बनायेंगे
( चित्र:::श्रृंगार पर आधारित सृजन )
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा..

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