मृगनयनी
मृगनयनी
बंद दरवाजों के झरोंखों से झांकती इक मृगनयनी है
जानें कब आयेंगे प्रियतम
अंदर से बेचैनी है
जानें कौन सी सुखद घड़ी होगी ,जब पिया मिलन की रात होगी,
ऐ चांद तू भी गवाह बनना उस पल का,जब प्रियतम से मुलाकात होगी,
विरह की घड़ी कब बीतेगी,
साजन जी कब आयेंगे,श्रृंगार मेरा फिर अपनें हाथों से कर ,मुझको दुल्हन सी बनायेंगे
( चित्र:::श्रृंगार पर आधारित सृजन )
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा..