मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा का कर त्याग
मन से करें विचार
अनमोल रतन हो नारियां
पग फिसले गंवार
कर सम्मान नारी जगत का
खुद पाओ सम्मान
आदिशक्ति कलि कालिका
करो निज पहचान
आदिशक्ति जग जननी भवानी
रूप अनेक करत धार
बेटी,बहु और मां की मुरत
ले अनेक रूप अवतार
धैर्य पुर्ण मन मनन करो
नारी मान को राख
जल जायेगा विश्व जगत
जब उगलोगी आग
पति परमेश्वर बन रक्षक
रखता है निज पास
मृगतृष्णा है कामवासना
न कर किसी से आश
आशीष देकर समाज बीच
मिला जो तुमको साथ
पति परमेश्वर है मान उसे
न छोड़ये उनका हाथ
जग में पतिव्रता नारी का
होत जगत सम्मान
मृगतृष्णा में भटकत फिरै
कुलटा नार पहचान
आदिशक्ति मातृ स्वरूपा
नारियों को प्रणाम
निज शक्ति को पहचानिये
मृगतृष्णा है काम
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग