मृगतृष्णा
कोई नगमा कोई किस्से ,कोई गीत सुना दो आज ..।
मृगतृष्णा में भटक रहा मन, राह सरल दिखला दो आज..।।
कोई मिल रहा कोई बिछड रहा ,कैसा दिन आया है आज..।
मृगतृष्णा में भटक रहा मन ,राह सरल दिखला दो आज..।।
बिते मास मधमास महिने,सरस सावन में बरसे आज..।
बाग -बगिचे ,तरुण, लता भी ,अब न मन को रिझा रही..।।
अश्रु भी काजल बनकर ,विरह पाठ पढा रही..
कोई नगमा कोई किस्से कोई गीत सुना दो आज..।
मृगतृष्णा में भटक रहा मन ,राह सरल दिखला दो आज।।
✍️प्रतिभा कुमारी:-💐💐