मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
मूल्यों में आ रही गिरावट समाधान क्या है ?
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आज जिस तीव्रता के साथ हमारे नैतिक व सामाजिक मूल्यों में गिरावट आ रही है, वह वास्तव में चिंता का विषय है, रिश्तों को कलंकित करती समाज में दिन प्रतिदिन बढ़ती घटनाएं हमारे समाज में अमर्यादित रिश्तों में वृद्धि को व्यक्त करती है, ऐसे अवैध रिश्ते, रिश्तों की मर्यादा को, उसकी गरिमा को ही नहीं बल्कि रिश्तों पर हमारी विश्वास की भावना को भी आहत करते हैं।
आज आये दिन ऐसी घटनाएं समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी होती है जिनको पड़ कर सिर शर्म से झुक जाता है, कहीं सगा मामा भांजी के साथ शादी कर आत्महत्या कर लेता है तो कहीं पिता अपनी पुत्री का यौन शोषण कर रहा है तो कहीं पति अपनी पत्नी को बेच रहा है, ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जो रिश्तों की पवित्रता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं, ऐसे अमर्यादित रिश्ते जिनका हमारे सभ्य समाज में कोई अस्तित्व नहीं है लेकिन फिर भी वह समाज में धीरे धीरे अपनी जड़े फैलाते जा रहे हैं वह गंभीर चिंतन और मनन का विषय है ।
वास्तव में जब हमारे समाज के नियमों और नैतिक मूल्यों को कुछ दूषित और विकृत मानसिकता रखने वाले लोगों द्वारा तोड़ा जाता है, तब इस प्रकार की घटनाएं हमारे समक्ष उपस्थित होती है, लेकिन हम समाज में रिश्तों की ऐसी दूषित उपज को कुछ लोगों की विकृत मानसिकता का नाम देकर पल्ला नहीं झाड़ सकते, इस समस्या की उत्पत्ति के भी असंख्य कारण हो सकते हैं जैसे कि हमारी तेज़ रफ्तार जीवन शैली, समय का आभाव, आपसी रिश्तों में संवेदनहीनता, संयुक्त परिवारों का विघटन, अश्लील साहित्य, इंटरनेट पर सहजता से उपलब्ध पोर्न साइडे, टीवी, छोटे घर, आदि कारणों के साथ हमारे परिवार के बड़ो दूारा बच्चों को रिश्तों का महत्व न समझाया जाना, खुल कर संवाद स्थापित न करना आदि भी अमर्यादित रिश्तों की समस्या को उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
समाज में ऐसे रिश्तों का अस्तित्व न हो इसके लिए रिश्तों की मर्यादाओं का पूरा ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, वहीं हमें हमारे परिवार में अपने बच्चों को संस्कारी बनाने के साथ रिश्तों का सम्मान करना भी सिखाना होगा, बच्चों से खुलकर हर विषय पर वार्तालाप करना होगा वहीं सैक्स से संबंधित प्रश्नों का शालीनता के दायरे में तार्किक उत्तर देना होगा न कि भ्रमित कर के उसकी जिज्ञासाओं को बढ़ावा प्रदान करना किसी भी दृष्टि कोण से उचित नहीं होगा, बच्चें अपने माता पिता का आईना होते हैं इसलिए आपका कर्तव्य बनता है कि उनके समक्ष कभी भी अमर्यादित वार्तालाप या व्यवहार न करें, जिसका उनके कोमल मन मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़े, क्योंकि समाज बनता तो हम से ही है ।
. ..डॉ फौज़िया नसीम शाद ….