*मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सफल-सुघड़-मूर्तिमान हुए।
भासमान उस कृष्णशिला में
तब, सहज स्वयं भगवान हुए !
-ऋतुपर्ण
मूर्तिकार के अमूर्त भाव जब,
सफल-सुघड़-मूर्तिमान हुए।
भासमान उस कृष्णशिला में
तब, सहज स्वयं भगवान हुए !
-ऋतुपर्ण