मूर्ख बनाने की ओर ।
लग गया ताँता आज सुबह से,
मूर्ख बनाने की ओर,
हाल चाल ना लेते जो पहले,
सुबह खबरें देने लगे,
भूल रहे है सत्य का आगाह,
हँसी मजाक में फूक रहे है,
अपना समय,
व्यवहार,
आस्था ,
विश्वास,
औचित्य,
व्यक्तित्व का निखार,
तर्क वितर्क सतर्क युक्ति ,
यहाँ तक नहीं रुकते,
पहुँच जाते है कहते है मिल गई मुक्ति,
जोखिमपूर्ण कदम उठा लेंगे,
बनाने को मूर्ख दिवस,
हँसाने के बहाने ,
भाव भावनाओ को भी कुरेद देते है,
हो जाती है हृदय की छूने की बात,
अगले पल ही मूर्ख हो जाते हो आप।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।