मूकबधिर
जो सुनते नहीं,
वो बोलते नहीं,
प्रकृति मूकबधिर पैदा करती है.
इसका क्या करें,
सुन सकता है,
पर सुनता नहीं,
बोलता बहुत है.
.
विश्वास गर खुद पे होता,
यूं न कभी,
दोष धरता,
माफियाओं को हरी झंडी न देता.
जो सुनते नहीं,
वो बोलते नहीं,
प्रकृति मूकबधिर पैदा करती है.
इसका क्या करें,
सुन सकता है,
पर सुनता नहीं,
बोलता बहुत है.
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विश्वास गर खुद पे होता,
यूं न कभी,
दोष धरता,
माफियाओं को हरी झंडी न देता.