Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2022 · 1 min read

मूकदर्शक

आजकल मैं देखता हूं सभी कल्पना लोक में
जी रहे हैं ,
वास्तविकता को नकार , तथ्यों को झुठला, झूठ की पैरवी कर रहे हैं ,
यथार्थ का कधन कड़वा है , चाशनी में डूबी मीठी बातों की तरह रुचिकर नही है ,
झूठे प्रलोभनों और वादों से सुसज्जित सपनों के सब्जबागों समान प्रतीत हितकर नही है ,
मुफ्तखोरी, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, छल- कपट, और भ्रष्टाचार का बाजार गरम है ,
परिश्रम, कर्मनिष्ठा,सत्यनिष्ठा,सदाचार,
सद्व्यवहार की अपेक्षा मात्र भ्रम है ,
कुछ समझ में नहीं आता है , यह परिवर्तन की दिशा है , या कटुसत्य से पलायन ,
अथवा अधोगति अग्रसर प्रयाण ,
मानवीय मूल्यों का हनन , संस्कारों का पतन,
या राक्षसी प्रवृत्तियों के आविर्भाव का प्रमाण ,
मैं यह सब देख प्रतिक्रियाविहींन
जड़ होकर रह जाता हूं ,
मैं किंकर्तव्यविमूढ़ सा एकाकी
मूकदर्शक बना रह जाता हूं ,

Language: Hindi
5 Likes · 6 Comments · 400 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
कृष्ण मारे तो बचाए कौन? कृष्ण बचाए तो मारे कौन?
कृष्ण मारे तो बचाए कौन? कृष्ण बचाए तो मारे कौन?
Ujjwal kumar
2122 1212 22112
2122 1212 22112
SZUBAIR KHAN KHAN
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे ,
Keshav kishor Kumar
"सतगुरु देव जी से प्रार्थना"......💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बनना है तो, किसी के ज़िन्दगी का “हिस्सा” बनिए, “क़िस्सा” नही
बनना है तो, किसी के ज़िन्दगी का “हिस्सा” बनिए, “क़िस्सा” नही
Anand Kumar
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
गंगनाँगना छंद विधान ( सउदाहरण )
Subhash Singhai
फितरत
फितरत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
अर्जक
अर्जक
Mahender Singh
दुर्भाग्य का सामना
दुर्भाग्य का सामना
Paras Nath Jha
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
अगर युवराज का ब्याह हो चुका होता, तो अमेठी में प्रत्याशी का
*प्रणय*
2953.*पूर्णिका*
2953.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भीगी बाला से हुआ,
भीगी बाला से हुआ,
sushil sarna
सोहर
सोहर
Indu Singh
वह गांव की एक शाम
वह गांव की एक शाम
मधुसूदन गौतम
Roy79 là cổng game bài đổi thưởng, casino online uy tín hàng
Roy79 là cổng game bài đổi thưởng, casino online uy tín hàng
roy79biz
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
सफ़र
सफ़र
Shashi Mahajan
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
"त्याग की देवी-कोशी"
Dr. Kishan tandon kranti
नहीं आया कोई काम मेरे
नहीं आया कोई काम मेरे
gurudeenverma198
*गैरों सी! रह गई है यादें*
*गैरों सी! रह गई है यादें*
Harminder Kaur
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Bundeli doha-fadali
Bundeli doha-fadali
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
बेवजह ख़्वाहिशों की इत्तिला मे गुज़र जाएगी,
शेखर सिंह
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।
ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।
Neelofar Khan
ऐसे थे पापा मेरे ।
ऐसे थे पापा मेरे ।
Kuldeep mishra (KD)
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
Ravi Prakash
Loading...