मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
मुच्छड़ ऐसा मानते , मूँछ मर्द की शान |
भिन्न रखें आकार कुछ , दें अपनी पहचान ||1
कुछ रखते हैं मूँछ का , पूरे मन से ख्याल |
हाथ लगाकर ऐंठते ,चलते हाथी चाल || 2
मूँछ देखकर नाक भी , होती सदा प्रसन्न |
रक्षक अपना मानती , कहती हम है टन्न || 3
पतली मोटी मूँछ रख , देते हैं आकार |
रखें नुकीली लोग भी , जैसे हो तलवार || 4
झगड़ा झंझट हो जहाँ , दें मूँछों को भाव |
दुश्मन भी जाता सहम , देख मूँछ का ताव ||5
करते ऊँची मूँछ भी ,जब मिलती है जीत |
चार लोग सम्मान में , आकर करें प्रणीत || 6
मुच्छड़ कहते हैं कभी , यहाँ मूँछ का बाल |
कीमत रखता लाख यह , रत्न समझता लाल || 7
पहलवान भी मूँछ से , पहले देता ताल |
कुश्ती जीते तानता , पुन: मूँछ के बाल ||8
मूँछ नहीं तो कुछ नहीं , मिल जाता है ज्ञान |
इससे बढ़कर मूँछ का , और कहाँ सम्मान ||9 ?
मानव तन में शान की , मूँछें बनी प्रतीक |
इस पर अच्छे कथ्य हैं , लगते सभी सटीक || 10
मूँछ मुड़ानें की कहें , जहाँ शर्त की बात |
मूँछ लड़ाई भी सुनी , जब चल उठती घात || 11
रौब जमाते मूँछ से , करते कुछ विस्तार |
कहते यह संसार में , मर्दो का शृंगार || 12
मान मिला जो मूँछ को , बैसा है किस ओर |
मुख मंडल की शान यह , मानें इसका जोर ||13
बाल बहुत रखता वदन , पर मूँछों के बाल |
बेशकीमती सब रहें , कीमत में हर हाल ||14
दुश्मन से भी बोलते , मत करना तू बात |
मेरी मूँछों सम नहीं , तेरी कुछ औकात ||15
रखो मूँछ की शान सब , अच्छा रखो चरित्र |
मूँछें चमके आपकी , जैसे खिलता इत्र ||16
इज्जत रखते मूँछ की , सभी जानते धर्म |
इसीलिए मुच्छड़ करें , सोच समझकर कर्म ||17
बिना मूँछ का आदमी ,क्या जानेगा शर्म |
मूँछें देतीं ताजगी , नहीं जानता मर्म ||18
बिना मूँछ का नर यहाँ , बिना पूँछ का ढ़ोर |
यह दोनों कब जानते , इज्जत है किस ओर || 19
बहुत कहानी है पढ़ी , जहाँ मूँछ के बाल |
दिखला आए शौर्यता , जिसमें दिखा कमाल ||20
खिल भी जाती मूँछ है , जब आती मुस्कान |
लिखकर मूँछ पुराण ही , आया मुझको ज्ञान ||21
मूँछें रखकर देखिए , जानो जरा प्रताप |
मुच्छड़ के सम्मान से , हर्षित होगें आप || 22
मूँछ कटाना पाप है, जिस दिन किया विचार |
उस दिन जानो आप है , मर्दो के सरदार || 23
मूँछ देखकर नारियाँ , देती हैं बहुमान |
आदर सँग सत्कार दें , अपना घूँघट तान ||24
जब तक जिंदा है पिता , हिंदू रीति रिवाज |
नहीं मुड़ाते मूँछ को , जाने सकल समाज || 25
बाबा दादा सुत पिता , दिखें मूँछ के चित्र |
मुच्छड़ यह परिवार है , कहते मिलकर मित्र ||26
मूँछें बढ़ती गाल तक , आगे बँधती कान |
बुक गिनीज में दर्ज का , मिल जाता सम्मान || 27
एक विनय सबसे करुँ , यदि हो उचित सलाह |
मुच्छड़ हो हर आदमी , कहे लोग वश वाह ||🙏28
मूँछ हमारी शान हो , मूँछ बने पहचान |
मुच्छड़ घोषित हो दिवस , अपने हिंदुस्तान ||🤑29
मूँछ चिन्ह ध्वज में बने, लहराए आकाश |
कायरता आए नहीं , रहे शौर्य आभाष || 🤔30
मुच्छड़ श्री सम्मान का , होवें शुभ आरंभ |
किसी तरह वश मूँछ का , बना रहे अब दम्भ ||🤓31
मूँछकटे है मुँछकटा , हो ऐसा फरमान |
नाक कटा ज्यों नककटे , कहलाते इंसान || 🤓32
राजा -महराजा हुए , चित्र देखिए आप |
सबने अपनी मूँछ का , उच्च रखा है माप ||33🙋
मुच्छड़ सेना भी बने, जिसकी रहे दहाड़ |
दुश्मन को ऐसा लगे, सम्मुख खड़ा पहाड़ ||34🙄
नकली मूँछों से अभी , मुच्छड़ बना सुभाष |
आगे असली अब रखूँ ,आया हृदय प्रकाश ||😄🙏35
©®सुभाष सिंघई