#मुरकियाँ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
वासंती बयार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
अमन तहज़ीब के परचम को हम ईमान कहते हैं।
खुद से रूठा तो खुद ही मनाना पड़ा
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
भोर की खामोशियां कुछ कह रही है।
जो चाहने वाले होते हैं ना
ख्वाहिशें के पूरा होने की जद में उम्र-एं-रवां है,
बेटी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
आंख से मत कुरेद तस्वीरें - संदीप ठाकुर
मिरे मिसरों को ख़यालात मत समझिएगा,
अर्कान - फाइलातुन फ़इलातुन फैलुन / फ़अलुन बह्र - रमल मुसद्दस मख़्बून महज़ूफ़ो मक़़्तअ
* अंदरूनी शक्ति ही सब कुछ *
किताबों से ज्ञान मिलता है