फंस गया हूं तेरी जुल्फों के चक्रव्यूह मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
*अच्छा जिसका स्वास्थ्य है, अच्छा उसका हाल (कुंडलिया)*
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
गीत लिखती हूं मगर शायर नहीं हूं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
पूरा ना कर पाओ कोई ऐसा दावा मत करना,
खूबसूरत सा लगा है वो अंदाज़ तुम्हारा हमें,
(कहानी) "सेवाराम" लेखक -लालबहादुर चौरसिया लाल
मजबूरन पैसे के खातिर तन यौवन बिकते देखा।
एक समझदार मां रोते हुए बच्चे को चुप करवाने के लिए प्रकृति के
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
मंदिर में जाना जरुरी नहीं।
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
में तेरी हर बात और जिद्द मान लूंगा अपने झगड़ते में
***************गणेश-वंदन**************