मुहब्बत
#मुहब्बत_बदले में मिलती मुहब्बत के सभी को है #मुहब्बत में..!!
❤❤#ग़ज़ल..!
#कभी_इश्क़ किसी को भीख में
मिलता नहीं है न #मुरव्वत में..!
#मुहब्बत_बदले में मिलती मुहब्बत के सभी को है #मुहब्बत में..!!
#हम_यूं ही बेखुद ज़मीं पे लोट
जायेंगे अब तो तेरी #फुरक़त में..!
#दिन_रात करेंगे याद कोहनी पर टिका के सिर को #फुरसत में..!!
#अभी_तो बस कुछ दिनों की
बात है पत्थर #दिल पे रख लेंगे..!
#उसके_बाद कहीं न ये तिश्नगी मेरी बदल फिर जाए #शिद्दत में..!!
#नहीं_पसारेंगे किसी के सामने
हम हाथ हैं #इमदाद के खातिर..!
#कर_लेंगे कोई भी चाकरी जो मिल जाएगी मुझको #गुरबत में..!!
#तुम_अपनी हथेली की लकीरों
को कभी मत #कोसना वीरान..!
#तुमको_भी उतना ही मिलेगा जो भी लिखा है तेरी #किस्मत में..!!
©#यशवन्त_वीरान..!