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8 Feb 2021 · 1 min read

मुहब्बत

मुहब्बत जताने के दिन आ रहे हैं।
गज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं।

जो कहते थे मरते सनम हम तुम्हीं पर
उन्हें आजमाने के दिन आ रहे हैं।

हथेली में दिल को चले हम तो लेकर
कि मिटने मिटाने के दिन आ रहे हैं।

गली में लगे घूमने फिर से मजनू ।
निगाहें चुराने के दिन आ रहे हैं।

जो हमको नचाते रहे उँगलियों पर
उन्हें अब नचाने के दिन आ रहे हैं

वही रंगरलियाँ शरारत की घड़ियाँ
वो हँसने हँसाने के दिन आ रहे हैं।

बहारों का मौसम गुलाबों की खुशबू
कि बाहों में जाने के दिन आ रहे हैं

भुला दो गमों को सभी पुष्प अपने
तराने सुनाने के दिन आ रहे हैं

पुष्प लता शर्मा

3 Likes · 4 Comments · 314 Views

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