मुहब्बत है
सलोने ख्याव को हर पल सजाये मुहब्बत है
तभी तों जिन्दगी में बस मुसीबत ही मुसीबत है
लहू से कर बगावत जब जवानी ये चली आती
छुअन भर से बड़ा भूचाल ले आती कयामत है
नयी गढ़ती कहानी जब हिमाकत उन दिलों में हो
इबारत प्यार की महके न तब कोई सलामत हो
अदायें जब लुभायें तो इबादत प्यार की होगी
मुसाफिर जिन्दगी में हो बयाँ वो ही हकीकत है
जलालत प्रेम में सबने सहन की है यहाँ पर फिर
तभी तो ख्याल में जिन्दा मुहब्बत की इमारत है
वफा मुझको मिली तो हीर मेरी आज फिर से है
भले हमको मिले फिर से जमाने से अदालत है
मिली है प्यार में हमको चुभन इतनी जमाने से
यहीं कारण कि हमको हो गयी बस आज नफरत है
डॉ मधु त्रिवेदी