मुहब्बत है ज़ियादा पर अना भी यार थोड़ी है
ग़ज़ल
मुहब्बत है ज़ियादा पर, अना¹ भी यार थोड़ी है
है दरवाज़ा भी इस दिल में फ़क़त² दीवार थोड़ी है
ख़ुदा जाने तू सर पर किसलिए ढोता है बोझ इसका
हर इक क़दमों पे गिर जाती है ये दस्तार³ थोड़ी है
ज़रूरत है अगर झुकने की तो झुक जाइये बेशक
कि रिश्तों के लिए झुक जाना कोई हार थोड़ी है
भरोसा, प्यार, क़ुर्बानी से ही परिवार चलता है
फ़क़त जुमलों से चल जाये, कोई सरकार थोड़ी है
हमारी ख़ामुशी का तुम ग़लत मतलब समझ बैठे
हमारी चुप का मतलब है हमें इक़रार थोड़ी है
नज़र रक्खे ‘अनीस’ इस पर कि तू कब किस से मिलता है
मेरा दिल शाहजादा है ये चौकीदार थोड़ी है
– अनीस शाह ‘अनीस ‘
1. अहम(ego) 2.मात्र,केवल 3.पगड़ी