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25 Oct 2024 · 1 min read

मुहब्बत भी इक जरूरत है ज़िंदगी की,

मुहब्बत भी इक जरूरत है ज़िंदगी की,
शायद तुम्हें मेरी जरूरत कब पड़ जाए

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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