[[ मुहब्बत के फ़क़त हमने , कई महताब देखे है ]]
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मुहब्बत के फ़क़त हमने , कई महताब देखे है
कहे कुछ अनकहे से , मैंने भी जज़्बात देखे है
किसी ने भी नही समझा कभी हमको फ़क़त इतना
कँवल कोमल सी आँखों ने बहुत से ख़्वाब देखे है
कोमल गुप्ता “रौनक”