मुहब्बत के व्यापार मे
आज मुहब्बत का अजब फरमान आया
जिंदगीको रगंमच और मुझे कठपुतली बताया
खुदा की रहमत ने गजब का नूर लाया
प्यार और धैर्य की प्रतिमूर्ति नारी का अक्स लाया
स्रष्टी की सबसे खूबसूरत संरचना को मुहब्बत का पैगाम बताया
पर …..
ये कैसी मुहबत है जो दिलों मे उमड़ती है
और बिस्तर पे दम तोड देती है
कल तक जो मुहब्बत आहे भरती थी आज मुह मोड़ लेती है..
क्या यही मुहब्बत की फितरत है
सुना था मुहब्बत इबादत का दूसरा नाम है
दिल से दिल को जोड़ने का पैगाम है
क्या यही मुहब्बत है ..जो रूह से निकल कर जिस्म पे खत्म होती है
प्यार मिटा कर जारो जार रोती है
बंद करो मुहब्बत की आड़ मे बहशीपन को
कुछ तो शर्म करो बंद करो कुकर्म को
न जाने कितनी नारी तिरस्कर्त होती है
मुहब्बत की आड़ में
तिल तिल मरती है जिस्म के बाजार मे
नारी तो मर्यादा है
मत झोंको उसे मुहब्बत के व्यापार में ..
नीरा रानी