*मुहब्बत के मोती*
मुहब्बत के मोती
साँसों की डोर में पिरो लूँ, मिले मुहब्बत के मोती।
हार गले का इन्हें बनाकर, पहनूँ नीयत ख़ुश होती।।
बिखरूँ तो तेरी बाँहों में, जुड़ा रहूँ वरना ‘प्रीतम’,
तेरी चाहत शबनम जैसी, ज़ख्म हृदय का हर धोती।।
आर.एस. ‘प्रीतम’
मुहब्बत के मोती
साँसों की डोर में पिरो लूँ, मिले मुहब्बत के मोती।
हार गले का इन्हें बनाकर, पहनूँ नीयत ख़ुश होती।।
बिखरूँ तो तेरी बाँहों में, जुड़ा रहूँ वरना ‘प्रीतम’,
तेरी चाहत शबनम जैसी, ज़ख्म हृदय का हर धोती।।
आर.एस. ‘प्रीतम’