मुहब्बत कहां है
हर जुबां पे जिसके चर्चे वो शोहबत कहां है
एक बात बता हमको की ये मुहब्बत कहां है
हर दर्द में हर प्यास में
हर अपने में हर खास में
मुहब्बत बेपनाह होती है, किसी से मिलने की आस में
इन अश्कों में और पानी में
इस जीवन में और रवानी में
मुहब्बत बेपनाह होती है, दादी नानी की कहानी में
भाई में और उसके प्यार में
बहिन में और मां के दुलार में
मुहब्बत बेपनाह होती है, पापाजी की मार में
हर किस्से में हर कहानी में
बचपन में भी और जवानी में
मुहब्बत बेपनाह होती है, मिलने की आनाकानी में
आराम में और सुकून में
हर शौक में हर जुनून में
मुहब्बत बेपनाह होती है, रगों में उबलते खून में
महबूब में और यार में
प्यारी बातों में तकरार में
मुहब्बत बेपनाह होती है, इन अश्कों के आबशार में
हर रिवाज में हर रीत में
हर भजन में और संगीत में
मुहब्बत बेपनाह होती है, मूरत से हुई उस प्रीत में