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27 Dec 2023 · 1 min read

* मुस्कुराते हुए *

** गीतिका **
~~
सामने आ गये मुस्कुराते हुए।
जल उठे हैं ह्रदय में अनेकों दिए।

अब हमें यह पता चल गया क्या कहें।
हम निशा में भटकते हुए क्यों जिए।

आ गई ज्यों दिवाली हमें यूं लगा।
जिन्दगी पर्व है आस नूतन लिए।

टिमटिमाते रहे आसमां पर बहुत।
कुछ सितारे मगर टूटकर खो गए।

वक्त बीता सभी याद रखना हमें।
चाहिए आज साथी पुराने नए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी, हिमाचल प्रदेश

1 Like · 3 Comments · 165 Views
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