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10 Feb 2020 · 1 min read

मुस्कान भी है

आंख में है गर दर्द का डेरा, होठों पर मुस्कान भी है
जीवन-डगर बहुत मुश्किल है उतनी ही आसान भी है ।
गर खरीदने की इच्छा है, जो चाहोगे मिल जाएगा
इस बाजार में बेईमानी है थोड़ा सा ईमान भी है।
सूरज के उदास चेहरे को शाम सुहानी कहता है
आदम जितना समझदार है उतना ही नादान भी है।
एक मोहल्ले में रहती हैं, सुबह शाम दोनों मिलती हैं
घंटी के पड़ोस में रहती उसकी बहन अजान भी है।
उसके द्वार से तेरे दर तक जुल्मो-सितम का शोर बहुत
‘मौन’ बता क्यों चुप रहता है मुंह में तेरे जुबान भी है।

2 Likes · 1 Comment · 307 Views
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