तुम्हारी ये मोहक मुस्कान, विकल कर जाती जीवन प्रान ! ******************
मुस्कान
तुम्हारी ये मोहक मुस्कान,
विकल कर जाती जीवन प्रान ! ******************
अरे मृदु मधुर तुम्हारे वैन
दिखें चंचलतम दोनों नैन
किये नित व्यथित हमें दिन रैन
भंवें तेरी ज्यों काम कमान
तुम्हारी ये मोहक मुस्कान,
विकल कर जाती जीवन प्रान !*************************
ठगी सी रहे प्रीत मनुहार
ठिठक जाता मन बारम्बार
तुम्हारे सुरभित सज्जित केश
नहीं रह जाता ज्यों कुछ शेष
और उस पर यौवन की शान
तुम्हारी ये मोहक मुस्कान,
विकल कर जाती जीवन प्रान ! **************************