मुस्कान आई है ….
आज फिर से ठेस ,
दिल को लगी है ,
आँखे तो खामोश है मगर ,
दिल की तह तक चोट खाई है …
चुप चुप से लबों पे ,
मुस्कान आई है,
गम को छुपाने की पुराणी आदत,
फि रसे दोहराई है…
क्या खबर है उनको ये पता ही नही ,
नींद हमारी उडी है ,
करवटो नें भी ,
सिलवटो की चुभन बताई है…
ना मांगते अब दुवा है ,
ना मांगते हम कुछ और,
जीते जी चलते फिरते,
बुथ सी जिंदगी खडी है…
गिला शिकवा क्या करे किसीसे,
किसीने कुछ कहा ही नही ,
हम भी दुःखाते गये अरमानो को ,
हम भी तो गुन्हेगार बने है…
ऐ जिंदगी तु खुश कैसे हो,
संघर्षो से ही तो राह भरी है ,
करे कुछ तो सवाल ना करे तो बवाल,
क्या है तेरी आरजू जो उलझी पडी है…
सुलझाते सुलझाते चले है राहो पर,
एक दिन तो आये क्या पता,
अब कौन सी आहट किस मोड पे ,
इंतजार में खडी है …