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7 Aug 2023 · 1 min read

मुस्कराहटों के पीछे

मुस्कराहटों के पीछे,छिपे हैं कितने ही दर्द।
लबों की हंसी के पीछे,छिपी हुई आंहे सर्द।

कितनी मर्तबा अश्क रोके मैंने होंठ भींच कर‌
कितनी बार आंसू पोंछे मैंने खुद को मींच कर।

बहुत कहानियां समेटे ये मेरे मुख की मुस्कान।
दिल पर कितने दर्द लपेटे,सोच में है भगवान।

कौन समझे, मुस्कराहटों की अजब आवारगी
दिल वाले ही समझ पाये है इसकी तिश्रनगी।

मान लो,हर मुस्कराहट के पीछे नहीं मुस्कान
कोई तो मिले हमें भी ,समझने को इंसान।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
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