मुसाफिर की राह।
चले मुसाफिर राह पर,
गिन गिन कर हर पैर।
एक दिन मंजिल मिल जाएगी
ये तो है एक शैर,
मुसाफिर ये तो है एक शैर।
पैर मुसाफिर से कहे
हमको नहीं कोई बैर।
साथ तुम्हारा मुझ संगत है
हम करते रहेंगे शैर
मुसाफिर करते रहेंगे शैर।
पग पग से मंजिल है मिलती
मिला न ये एक बार।
रुके अगर न राह पर
तो हर राह करेंगे पार
दो पग संग राह करेंगे पार।
चले राह कांटे मिले
हर कांटे को फैंक।
कांटे देख जो मन घबराए,
न मंजिल तु देख मुसाफिर
न मंजिल तु देख।
काटें चुन चुन के है हटाना
चलना पूरी राह।
बिन काटें कोई राह नहीं
हर काटें संग राह
मुसाफिर हर काटें संग राह।
जिसने काटें न देखें हैं
चलता रहा हर पल।
चल चल हर रहा पे वो
पहुंचे हर मंजिल
मुसाफिर पहुंचे हर मंजिल।
संजय कुमार ✍️✍️