Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2019 · 1 min read

मुसव्विर/चित्रकार

ओ मुसव्विर अक्स मेरी आँख में है प्यार का।
देख कर उसको बना दे चित्र मेरे यार का।

रंग थोड़ा साँवला है रुख़ दमकता धूप सा।
लगता है जैसे कि कोई फूल हो रतनार का।

नैन उसके तिरछे काले होंठ पर लाली लगी।
गाल पर तिल एक छोटा रूप है शृंगार का।

वो खुली सी गेसुएँ लगती समुंदर की लहर।
जब हवा में उड़ती है तो रूप लगती ज्वार का।

रंग मेरी चाहतों का भर मुसव्विर चित्र में।
तू बना दे सबसे सुंदर चित्र इस संसार का।

1 Like · 308 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
मदिरा वह धीमा जहर है जो केवल सेवन करने वाले को ही नहीं बल्कि
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
जज़्बात पिघलते रहे
जज़्बात पिघलते रहे
Surinder blackpen
3128.*पूर्णिका*
3128.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शे
शे
*प्रणय*
जाने जां निगाहों में
जाने जां निगाहों में
मधुसूदन गौतम
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
फलानी ने फलाने को फलां के साथ देखा है।
Manoj Mahato
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
शेखर सिंह
“आज की मेरी परिकल्पना”
“आज की मेरी परिकल्पना”
DrLakshman Jha Parimal
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
Shyam Sundar Subramanian
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
दिल का हर रोम रोम धड़कता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गंगा नदी
गंगा नदी
surenderpal vaidya
नया साल
नया साल
umesh mehra
मैं भारत का जन गण
मैं भारत का जन गण
Kaushal Kishor Bhatt
जिंदगी बेहद रंगीन है और कुदरत का करिश्मा देखिए लोग भी रंग बद
जिंदगी बेहद रंगीन है और कुदरत का करिश्मा देखिए लोग भी रंग बद
Rekha khichi
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
पलकों पे जो ठहरे थे
पलकों पे जो ठहरे थे
Dr fauzia Naseem shad
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
नींव_ही_कमजोर_पड़_रही_है_गृहस्थी_की___
पूर्वार्थ
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
थकावट दूर करने की सबसे बड़ी दवा चेहरे पर खिली मुस्कुराहट है।
Rj Anand Prajapati
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
*मिलती है नवनिधि कभी, मिलती रोटी-दाल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गुस्सा
गुस्सा
Sûrëkhâ
अपने अपने कटघरे हैं
अपने अपने कटघरे हैं
Shivkumar Bilagrami
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बाहर के शोर में
बाहर के शोर में
Chitra Bisht
ऋतुराज
ऋतुराज
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
"लोग करते वही हैं"
Ajit Kumar "Karn"
.
.
Amulyaa Ratan
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हरवंश हृदय
मस्ती का माहौल है,
मस्ती का माहौल है,
sushil sarna
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
करन ''केसरा''
Loading...