मुश्किल है बताना
******** मुश्किल है बताना *********
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यौवन का बोझ भारी मुश्किल है बताना,
लगती हर चीज़ प्यारी मुश्किल है बताना।
बागों में रौनकें गुल से खिलता गुलिस्तां,
खिलतें है फूल क्यारी मुश्किल है बताना।
यह बोझा जिंदगी का हाथों में उठाना,
चलती वक्षस्थल आरी मुश्किल है बताना।
कर देखी है बहुत मुखत्यारी पर न जाना,
जीवन में खूब हारी मुश्किल है बताना।
मनसीरत ने है यही जाना बिगड़ा ज़माना,
बचती है बस खुद्दारी मुश्किल है बताना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)