मुश्किल में हैं रिश्ते …
मुश्किल में हैं दिल के रिश्ते
अपने रुठ न जाएं हमसे,
अपने-सपने सब घिरे हुये हैं
दुनियाँ भर के धर्मसंकट से,
गिर कर टूट न जाये हमसे
रुठ – टूट कर
सब बिखर न जाये हम से
बस इस से ही डरता हूँ।
चलो करो तैयारी पुर्दिल
कुछ मधुर स्वप्न उगाने हैं
हमको तुमको मिल कर
हंथेली पे दूब उगाने हैं
नया सुर शाज बनाने हैं,
मधुर बने सब का जीबन
कुछ ऐसे सुर को लगाने हैं
भूले बिसरे गीतों को
फिर से पंख लगाने हैं
जन-जन के मन में प्रेम
प्रेम के गीत सजाने हैं
नफ़रत कि बातों को पुर्दिल
खूटी पे हमें टँगाने हैं,
बस डर है मुझ को
इस नफ़रत के साये में पुर्दिल
हम से रुठ-छूट न जाना तुम
हाँथ मिला कर दिल से मुझ से
दिल से टूट न जाना तुम…
***
28-04-2019
…पुर्दिल…