मुश्किल जीना हाय, यहाँ पर जो है निर्बल
निर्बल पर चलता सदा, सामर्थी का जोर।
जायज है उसके लिए, गलत सही सब ओर।
गलत सही सब ओर, सदा करता मनमानी।
हाँ करते सब लोग, कहे यदि पय को पानी।
शक्तिहीन लाचार, ठगा जाता है हरपल।
मुश्किल जीना हाय, यहाँ पर जो है निर्बल।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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