“मुशाफिर हूं “
“मुशाफिर हूं ”
मिलना बिछड़ना है रीत यही,
मुझे यादों में यूं न बसाना।
मुशाफिर हूं गुजरे हुए शाम की तरह,
चलते मुशाफिरों से दिल न लगाना।।
“मुशाफिर हूं ”
मिलना बिछड़ना है रीत यही,
मुझे यादों में यूं न बसाना।
मुशाफिर हूं गुजरे हुए शाम की तरह,
चलते मुशाफिरों से दिल न लगाना।।